उत्कृष्ट प्रतिभा वाले मेरे साथी

इस पृथ्वी पर अनन्त्रकाल से मानव का जन्म होता आ रहा है। वह बचपन पार कर शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करता है, पूर्व कर्मों के अनुसार अपनी जीविका चलाता है। बचपन से जवानी और जवानी से प्रौढ़ अवस्था से गुजरते हुए मृत्यु को प्राप्त होता है। तीये बैठक पर शोक संदेश पढ़े जाते है और उसके बाद लोग उसे भूलते जाते है। लेकिन कुछ व्यक्ति अपने जीवनकाल में अपना जीवन सुव्यवस्थित तरीके से चला कर दूसरों की सेवा व मदद करते है, उनको लोग मृत्यु उपरान्त भी वर्षों तक नहीं भूलते। ऐसी ही एक शक्सियत के बारे में आज मै आपको बताने जा रहा हूँ। उनका नाम था श्री त्रिलोकीनाथ जांगिड यह अपनी शिक्षा पूर्ण कर सरकारी नौकरी में लग गये थे। नौकरी करते समय उनके व्यवहार से उनके साथी तथा मुख्य अभियन्ता बहुत प्रभावित थे। और सभी साथियों से उनके सगे भाईयों से भी ज्यादा सम्बन्ध हो गये थे जो सेवानिवृत्ति के बाद भी निभाते रहे। साथियों की हर संभव मदद की, उसकी वजह से वे साथी सेवा निवृति के बाद भी सपरिवार जोधपुर उनसे मिलने आते, सात-आठ दिन ठहरते और उसी तरह जोधपुर वाले मेरे साथी उनके शहर जाकर ठहरते और सेवानिवृति का आनन्द उठाते। उनके कोई संतान नहीं थी। उनके एक भाई था जिनका जवानी में ही इंतकाल हो गया था। हमारे साथी ने अपनी भाभी के परिवार को संभाला, उनको व बच्चों को आगे की पढ़ाई कराई और नौकरी में प्रवेश दिला दिया। भाभी के दो लड़कियाँ थी। एक लड़की को मेरे साथी ने गोद से लिया। उसका पालन पोषण करोड़ो की चल-अचल संपति गोद ली गई बेटी को दे दी। बताइये वह गोद ली गई लड़की, उनका जवाई, उनकी विधवा भाभी व उनके बच्चे क्या मेरे साथी की मदद को भूल सकते है?

 

इसी तरह सेवानिवृति पश्चात उनकी श्रीमती जी का भी देहावसान हो गया। उन्होंने नौकरानी रखो, जो कि करीब 20 वर्षों से उनके घर की सफाई कपड़े धोना, खाना बनाना और प्रेम से उनके घर आये मेहमानों की आवभगत करती थी। उस नौकरानी की तनख्वाह के साथ ही समय-समय पर बक्शीश दिया करते और उसे मचत के लिए मार्ग-दर्शन भी करते थे। उन्होंने उसके दिन के खाली समय के लिए पास ही रहने वाले डॉक्टर साहब व प्रोफेसर साहब के यहाँ पर नौकरानी का काम दिला दिया। इस तरफ उनकी मदद से बच्चों को भी उचित शिक्षा के लिये प्रेरित किया और मृत्यु के पश्चात उसके बचत खाते में लाख रूपये से भी ज्यादा रकम हो गई। मेरे साथी के देहवसान के बाद उनकी पुत्री व जवाई भी उसको हर मदद अब भी कर रहे है। अब बताइये वह नौकरानी उस दिवंगत आत्मा को भूल सकती है क्या ? इस कड़ी में एक पंजाब के साथी के लड़की की शादी जोधपुर में हुई थी। ससुराल वालों ने उसे बहुत परेशान किया। उसका पति भोले स्वभाव का सीधा-सादा है लेकिन सास ससुर उसे सदैव प्रवाहित करते रहते। एक दिन तो हद ही हो गई जब रात को साथी की पुत्री को ससुराल वालो मे घर से निकाल दिया, जबकि वह गर्भधारण किये हुए थी। रात भर वह बाहर चबूतरी पर सोती रही। उस लड़की के माता-पिता ने उसका पक्ष नहीं लिया तो वह लड़की मेरे उपरोक्त साथी के घर गई। अपनी व्यथा बताई। उन्होंने उसे दांड्स बंधाया और अपने घर जोधपुर में ही रखा।लड़को के ससुराल वाले मेरे साथी से नाराज होने लगे और धमकियां भी दी। लेकिन उन्होंने उस लड़की को पूरा सम्बल दिया। उसे साम से जाकर नौकरी दिलवाई और धीरे-धीरे ससुराल वालों की तरफ उसे जाने की प्रेरणा दी। उसे भी पैसों की बचत करने की शिक्षा दी। आज वह लड़की अपने ससुराल वालों से घुल-मिल गई है। उनके मागदर्शन में अपनी बचत से सिर्फ हजारो रूपयों में खरीदवाया प्लॉट आज प्रन्द्रह लाख का हो गया है। ससुराल में जेठानी, देवरानी से उचित सामंजस्य बनाये रखा और अगर मकान का बंटवारा हुआ तो उस लड़की व उसके पति के पास करीब 50 लाख की रकम आयेगी l मेरे साथी के देहवासन पर यह लड़की उनकी पुत्री से ज्यादा रोई थी क्योंकि उन्होंने जन्म देने वाले माता-पिता से भी ज्यादा मदद प्रोत्साहन व उचित मार्गदर्शन दिया। अब बताईये वह लड़की मेरे साथी को ता उम्र भूत सकती है? संसार में ऐसे महामानव बिरले ही होते हैं।

 

-Er. Tarachand

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Outstanding Talent of my Comrade

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