आज मैं आपको दो आँखों देखी। घटना बता रहा हूं। सन् 1961 में जब मैंने कनिष्ठ अभियन्ता पद पर न्यू पावर हाऊस जोधपुर में नौकरी शुरू की, तब वहां स्टाल कम्पनी टरबाइन स्थापित की जा रही थी। वे टरबाइन स्वीडन से आयात की गई थी और उसको स्थापित करने के लिए एबर्स्टन नामक स्वीडिश को काम सौंपा गया था। | उसके साथ एक भारतीय इरेक्टर को भी साथ लगा रखा था, उसका नाम नैयर था, ताकि भविष्य में वह टरबाइन की देखभाल कर सके।
उस जमाने में मुझे 200 प्रति माह वेतन मिलता था और स्वीडिश इरेक्टर को 200 प्रतिदिन वह उस जमाने में उम्मेद भवन होटल में ठहरा हुआ था। शाम को कभी कभी नैयर भी उम्मेद भवन में स्वीडिश के साथ दारू पीने चला जाता था। एक दिन श्री नैयर ने शराब के नशे में स्वीडिश इरेक्टर को स्वीडन की औरतों के बारे में कुछ अशोभनीय शब्द बोल दिये। इरेक्टर ने कमरे में जाकर अटैची से लोडेड पिस्टल निकाली और नैयर के कान के पास लगा दी। नैयर पसीने-पसीने हो गया और तुरन्त स्वीडिश के पैर पकड़ कर माफी मांगने लगा। स्वीडिश ने कहा, नैयर तुम मेरे भारत में पहले दोस्त हो, इसलिए शूट नहीं कर रहा हूं, लेकिन अगली बार माफी नहीं मैं अपने देश के लिए कोई | गलत बात सहन नहीं सकता ऐसी थी स्वीडिश इरेक्टर की देशभक्ति ।
दूसरी बात, सन् 1979-80 में मैं बाड़मेर में सहायक अभियन्ता पद पर सेवारत था। बाड़मेर में एक सेठ (दुकानदार) के दो लड़के थे। बड़ा लड़का भाजपा में और छोटा लड़का कांग्रेस पार्टी में कर्मठ कार्यकर्ता। उस समय भाजपा की सरकार थी, तब श्री लालकृष्ण अडवाणी का बाड़मेर राजनैतिक दौरा हुआ और उनको तराजू में सिक्कों से तोलने का कार्यक्रम बना। उस समय तराजू पर सेठजी का बड़ा लड़का तराजू पर मुख्य कार्यकर्ता की हैसियत से इस प्रोग्राम पर मंच पर उपस्थित था। बाद में भाजपा सरकार ढाई साल बाद गिर गई और कांग्रेस पार्टी सत्ता में वापिस आ गई। इसी तरह कांग्रेस राज में श्रीमती इन्दिरा गांधी का बाड़मेर राजनैतिक दौरे का कार्यक्रम बना, उन्हें भी बाड़मेर के कांग्रेस पार्टी की तरफ से तराजू में सिक्कों से तोलने का कार्यक्रम बना, तब सेठजी का छोटा लड़का मंच पर तराजू के पास कर्मठ नेता के तौर पर उपस्थित था।
एक दिन वही सेठजी बिजली की कोई समस्या लेकर मेरे आफिस आये। बातचीत में मैंने दोनों उपरोक्त मामलों का जिक्र किया और उनसे पूछा, आपका एक बेटा भाजपा में तथा दूसरा बेटा कांग्रेस में नेता। आप अपने घर पर दोनों का कैसे सामंजस्य बैठाते हो ?
सेठजी ने जबाव दिया, जब भाजपा पार्टी की सरकार पावर में होती है तो बड़े लड़के को दुकान के कार्य से मुक्त कर देते हैं, ताकि वह भाजपा पार्टी के कार्यक्रम में आसानी से भाग ले सके। इसी तरह जब कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती है तो बड़ा लड़का राजनीति से थोड़ा हट कर दुकान में मेरे साथ काम करता है और छोटे लड़के को कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए दुकान कार्य से मुक्त कर देते हैं। घर पर राजनैतिक चर्चा नहीं होती है और दोनों भाई एक ही थाली में साथ खाना खाते हैं। दुकान रोज जाता हूं। जब भाजपा सत्ता में होती है तो भाजपा कार्यकर्ता, नेता मुझसे रामा-सामा करने दुकान पर आते रहते हैं। इसी तरह जब कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती है तो कांग्रेस के कार्यकर्ता दुकान पर रामा-सामा करते रहते हैं। इस तरह भगवान की दया से घर व दुकान पर सदा लीला लहर।
दोनों उपरोक्त वृतान्त पढ़ कर पाठकगण बतावें कि क्या अपने ग्रुप में ऐसा राजनैतिक वातावरण नहीं बना सकते ? सेठजी के बेटों की तरह साथीगण आपस में प्रेम से, बिना राजनैतिक द्वेष से घर में शांति का वातावरण बनाये और सेठजी रूपी संस्था की बल्ले-बल्ले। फिर वाट्सएप पर ऐसा विचार क्यों न डाले जिससे अपने ग्रुप के सदस्य स्वीडिश एबर्स्टन इरेक्टर की तरह देशभक्ति के कुछ गुण सीख सके।
-Er. Tarachand
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