एक शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार रहता था। पिता कलैक्टर कार्यालय में बाबूगिरी का काम किया करते थे और तनख्वाह से घर गृहस्थी ठीक चल रही थी उनके एक बेटा था, जिसकी पढ़ाई की तरफ माता-पिता का ध्यान बचपन से ही था और इच्छा थी कि बेटे को पढ़ा-लिखा कर इंजिनीयर बनाया जायें। | इसके लिए उन्होंने अपने फालतू के खर्चे कम करके तथा अपनी आय बढ़ाने के लिए एक दुकान पर शाम को जाकर उसका हिसाब-किताब रखने का काम अपने हाथों में ले लिया था। आखिरकार माता-पिता की मेहनत तथा बच्चे के हौसले ने बेटे को इंजिनीयर बना दिया।
बेटे की नौकरी लग गई और पिता ने अपने से बड़े घर की बेटी से अपने बेटे का सम्बन्ध कर लिया और हैसियत से ज्यादा धूमधाम से शादी की l शादी के साल भर बाद माताजी का सड़क दुर्घटना में देहान्त हो गया और घर में बेटा, बहू व पिता रहते थे। शुरू के दो साल तो ठीक गुजरे, फिर ससुर बहु के व्यवहार में बदलाव आने लगा। बहु नहीं चाहती थी कि ससुर उसके काम-काज में टोका-टोकी करे तथा बार-बार सिर ढकने की हिदायत देवें। ससुर चाहते थे कि उनके हमउम्र साथी घर आये तो बहु उनके लिए चाय-नाश्ता का इंतजाम करे, लेकिन बहू को यह नागवार लगता। वह अपने पति के ऑफिस लौटने के बाद रोज शिकायत करती तथा पिता मायूस कमरे में बैठे रहते l घर का वातावरण दिन पे दिन बदतर होने लगा। आखिर में एक दिन बेटे ने पिताजी से कहा कि घर में वर्तमान परिस्थिति में आप में तथा आपकी बहू दुखी है, अतः आपको मैं वृद्धाश्रम में भर्ती करा देता हूं, ताकि आप वहां अपने उम्र के साथियों के साथ प्रसन्न रहे और हम यहां शांति से रह सके। पिताजी मान गये और एक दिन बेटे ने पिताजी का सामान टैक्सी में डाल पिताजी को साथ लेकर वृद्धाश्रम की ओर प्रस्थान किया। कुछ समय बाद रास्ते में टैक्सी में बैठे पिताजी रोने लगे। बेटे ने कहा- पिताजी आप रो क्यों रहे है ? पिताजी ने कहा- बेटे. 20 वर्ष पहले मैंने अपने पिताजी को इसी वृद्धाश्रम में भर्ती कराया था, जो आज याद आ रहा है।
बेटे ने टैक्सी रुकवाई और टैक्सी ड्राईवर को वापिस घर चलने के लिए कहा। पिताजी के कहा- क्या बात हो गई बेटे ? बेटे ने उत्तर दिया- पिताजी आपने जो 20 वर्ष पहले गलती की थी. वह अब मैं नहीं दोहराऊगा। घर पर ही येनकेन प्रकारेण सब साथ-साथ रहेंगे।
नोट:- उपरोक्त प्रसंग उन महिलाओं के लिए मार्गदर्शक होगा जो अभी सासूजी बनी है और उनकी सासुजी ने उनके साथ कठोर व्यवहार व अत्याचार किया है तथा उनकी अभी यही धारणा है कि जैसा व्यवहार सासुजी ने किया है वैसा ही व्यवहार में अब अपनी बहु के साथ करू ।
-Er. Tarachand
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