बोध प्रसंग 21

राजकीय/अर्द्ध राजकीय सेवा में रहते अगर आपके सम्बन्ध दूसरे व्यक्तियों से मधुर है तो ये संकट कालीन स्थिति में बहुत उपयोगी साबित हो सकते है. ऐसा तजुर्बा मुझे उस समय हुआ, जब मैं राजस्थान विद्युत मंडल सेवा के दौरान सोजत सिटी (जिला पाली) में कार्यरत था।

 

एक दिन मेरे कार्यालय में मेरे ही अधीन कार्यरत कनिष्ठ अभियन्ता आये और जोर-जोर से रोने लगे। उनका रोना इस कदर था कि किसी ने उनकी पिटाई कर दी हो। मैंने उन्हें ढांढस बांधाया और वस्तुस्थिति स्पष्ट करने को कहा। उन्होंने बताया कि मेरे क्षेत्र में एक सेना से सेवा निवृत्त मेजर रहते है और मेरे स्टाफ ने मुझे बताया कि उनके बेरे पर विद्युत मंडल की लोहे की गर्डर काम में ली हुई है। मेजर को शक है कि स्टाफ को मैने ही उनके कुए पर उपरोक्त सामान को चैक कराने भेजा था। वे बहुत नाराज हुए और स्टाफ को कहा कि मेरे पास सर्विस रिवाल्वर है और कल शाम के सात बजे से पहले उन्हें गोली से उड़ा दिया जायेगा। कनिष्ठ अभियन्ता में आगे बताया, मैं आपके पास अपनी जिन्दगी के बचाव के लिए आया हूँ। मेरे छोटे-छोटे बच्चे है और -उपरोक्त समाचार से मेरे परिवार में कोहराम मचा हुआ है। आज किसी तरह मुझे मेजर से बचा लीजिए।

 

मैंने कनिष्ठ अभियन्ता को आवश्यत किया कि मेजर को ऐसी अनहोनी कार्यवाही करने से रोका जाएगा। तुम निश्चित रहो। मैने इस समस्या के निराकरण के लिए उसी क्षेत्र के रहने वाले सेवानिवृत ब्रिगेडियर साहब से तुरन्त सम्पर्क किया और कनिष्ठ अभियन्ता के साथ हुई वारदात के बारे में बताया। उनके मेरे साथ घनिष्ठ सम्बन्ध हो गये थे। अतः उन्होंने तुरन्त अपनी कार निकाली तथा मेरे अन्य साथी चिकित्सा अधिकारी को साथ लेकर मेजर के गांव गये और उन्होंने सेना की कड़ी भाषा से समझाया और वादा लिया कि विद्युत मंडल कनिष्ठ अभियन्ता के साथ कोई कार्यवाही नहीं करेंगे। इस तरह ब्रिगेडियर साहब की तत्परता से कनिष्ठ अभियन्ता की जान बच गई। मेरे कर्मचारियों ने बताया कि उपरोकर भेजर की सर्विस रिवाल्वर से एक विधायक के पिता का भी मर्डर कुछ वर्ष पूर्व हो चुका था और मेजर साहब कानून के शिकने से भी नहीं फसे

 

ब्रिगेडियर साहब के राज्योग से विद्युत मंडल का सामान भी कुए से वापिस आ चुका था जब कभी हम मिलते है तो उपरोक्त प्रसंग के बारे साथ आज भी ज्वलंत हो जाता है।

 

-Er. Tarachand

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Perception Episode

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