यह प्रप्तंग बीस वर्ष पुराना है। सन् 1987 में मैं जयपुर जिले के चौमू खंड के अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत मंडल के पद पर कार्यरत था। उस साल एक श्रमिक 33/11 केवी सब स्टेशन रामपुरा पर ड्यूटी पर तैनात था। शाम के समय 11 के वी लाइन का फ्यूज बदलते समय वह करेन्ट की चपेट में आ गया और उसका देहावसान हो गया। उसके दाह संस्कार में गांव के लोगों के साथ विद्युत मंडल के अभियन्तागण, श्रमिक व कर्मचारी गण काफी संख्या में मौजूद थे।
दाह संस्कार के विश्राम समय में उस गांव रामपुरा डाबडी के सरपंच ने हमे बताया कि मृतक के परिवार में उसकी धर्मपत्नी दो पुत्री अंधी माँ तथा विधवा बहन मृतक की आय से गुजारा करते थे। कुछ महीने पहले मृतक कर्मचारी के घर चोरों ने घुस कर उसके गहने तथा थोड़ा बहुत जमा पूंजी भी चोरी कर ली थी। इस परिवार के कोई जमीन जायदाद नहीं है तथा गांव में वह किराये यो मकान में रह रही है। इसी स्थिति में अगर विभाग ने उसकी सुध बुध नहीं ली. तो एक दिन यह विधवा औरत सड़क पर भीख माग कर ही अपना व अपने पर आश्रित परिवार का पालन-पोषण कर सकेगी। दाह संस्कार के बाद जब हम अपने निवास स्थान पर लौट रहे थे तो सभी ने इच्छा जाहिर की कि इस विधवा महिला की पूरी मदद की जाये।
इसके लिए सर्वप्रथम गांव के सरपंच के माध्यम से गांव के चौटे के पास एक प्लॉट खरीदा गया, जिसके लिए सभी अभियन्ता, कर्मचारी व श्रमिकों ने अपने वेतन से कटौती कराई और फिर मकान बनवाने के लिए समान खरीदा गया, सभी श्रमिक बारी-बारी से हर रविवार को यहां श्रमदान करते और आखिर वो कमरे, रसोई, बाथरूम, बाउन्ड्री तथा बिजली पानी का कनैक्शन उपलब्ध कराकर उस विधवा महिला को सार्वजनिक समारोह आयोजित कर मकान का पट्टा सुपुर्द किया गया। उस समय करीब 90,000/- रूपये विद्युत दुर्घटना क्षतिपूर्ति के दिये गये तथा उसके बाद तत्कालीन अध्यक्ष राजस्थान राज्य विद्युत मंडल, जयपुर ने उस विधवा को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी प्रदान की। अब यह विधवा उसी गांव रामपुरा डाबड़ो में अपने परिवार के साथ पूर्व आर्थिक संबल से जीवन निर्वाह कर रही है। वर्तमान स्थिति में उस विधवा ने अपने दोनों पुत्रियों की शादी कर दी है. तथा एक मात्र पुत्र को आई.आई.टी., दिल्ली में उच्च शिक्षा प्रदान करा रही है तथा विद्युत मंडल जयपुर में सेवारत है। यह प्रसंग उन सरकारी अधिकारियों/उद्योगपतियों के लिए मार्गदर्शक होगा, जोकि अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के दुखी / विकट स्थिति में मदद करने की इच्छा रखते है।
-Er. Tarachand
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