युवा पीढ़ी की स्वच्छन्दता

पहले संयुक्त परिवार होते थे। सब एक ही घर में तीन पीढ़ियों के परिवार साथ-साथ रहते थे। घर के मुखिया के आज्ञा अनुसार सभी घर के रीति-रिवाज, सगाई, विवाह, धंधा आदि सम्पन्न होते थे। युवा बच्चों को भी भरोसा रहता था कि माता-पिता हमारे रिश्तों बढ़िया ढंग से ही करेंगे। 20 वर्ष पूर्व एक सचान ने बताया कि वे अपने पुत्र की बहु देखने गए, उसका पुत्र बाहर नौकरी करता था तब लड़के के पिता ने लड़की के पिता को फोटो दिखाए और जब लड़की को उसकी माँ ने फोटो दिखाए तो लड़की ने तुरन्त कहा पापा और मम्मी, आप दोनों जो लड़का मेरे लिए पसन्द करोगे, वह रिश्ता मुझे मंजूर है, जबकि वह लड़की उच्च शिक्षा प्राप्त है। कितना भरोसा था उस समय लड़की को संज्ञान में आए हैं। अपने माता-पिता पर

 

अब आज की स्थिति यह हो गई है कि पहले लड़के लड़कियों को अच्छी शिक्षा दो, फिर अपनी काबिलियत के साथ उनको प्राईवेट कम्पनी में अच्छा पैकेज मिल जाता है। साथ में काम करने वाली लड़की / लड़का के सम्पर्क में आती / आते हैं। लिव इन रिलेशनशिप शुरू होता है और जो लड़का कहता है, लड़की आँख बंद कर विश्वास कर लेती है।

 

उदाहरण के तौर पर मेरे एक परिचित उद्योगपति हैं, उनके एक पुत्री है। कारोबार बहुत अच्छा चल रहा है। उनकी बेटी की अच्छी परवरिश की। नौकरी के दो साल बाद, उस उद्योगपति ने बेटी से कहा कि अपने समाज में दो लड़के देखे हैं, तुम भी उसे देख लो, पसन्द आ जाए तो सगाई के लिए बात चलाते हैं। लड़की ने कहा आप पुराने विचारों के व्यक्ति हो। मैं अब बालिग हूँ और में अपने हिसाब से लड़का देखकर आपको सूचित कर दूंगी।

 

उसके एक साथ बाद लड़की ने साथ में काम करने वाले के बारे में माता-पिता को बताया, जो कि दूसरी जाति से संबंध रखता था, वहाँ दार-मांस खाना जायज समझा जाता है। जबकि लड़की सुवर्ण समाज से ताल्लुक रखती है। लड़की ने माता-पिता को बताया कि दो साल से मैं उसे जानती हूँ। बहुत भला है और उनके घर तो लहसुन प्याज भी नहीं चलते हैं। माँ-बाप, दादा-दादी ने बहुत समझाया लेकिन वह टस से मस नहीं हुई, उसके ऊपर तो लड़के का जादू छाया हुआ था। आखिरकार माँ-बाप लड़की की खुशी की खातिर राजी हुए।

 

जब लड़के वालों को सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया आप लड़की को लेकर सीकर आ जाएं, तो हमें सुविधा रहेगी और यहाँ आपको होटल में ठहरने तथा शादी की रस्में पूरी करने में कोई परेशानी नहीं होगी। लड़की के घर वाले लड़की, रिश्तेदारों को बसों में भरकर सीकर गए, वहाँ लड़की की शादी धूमधाम से की।

 

  • लड़की ससुराल चली गई। सात-आठ महिने मुश्किल से निकाले और लड़की को जो झांसा दिया था कि वे मांस-मदिरा का सेवन नहीं करते हैं, झूठा निकला और लड़की के माँ-बाप से अपने खर्चे के लिए

 

पैसे मांगने के लिए दबाव डालने लगे। आखिर दुःखी होकर लड़की पीहर आ गई और माता पिता को पूरी जानकारी दी कि उसे कैसे परेशान किया गया। उसने कहा-मैं अब सीकर नहीं जाऊँगी, आप तलाक का नोटिस देथे। आगे से अब शादी भी नहीं करूंगी।

 

इस तरह जब हम युवा पीढ़ी को समझदार, परिपक मानकर सभी चीजें लड़की को सौंप देते हैं, तब उपरोक्त स्थिति पैदा होती है। ऐसे एक नहीं, चार-पाँच मामले मेरे

 

अपने समाज में लड़के और लड़कियाँ भी पढ़े लिखे मिल जाएंगे उनको ढूंढने की बात है। इसमें अपने नजदीक के रिश्तेदार काफी मददगार हो सकते हैं। अच्छा पैकेज पाना, सिर्फ अच्छे परिवारिक जीवन की गारंटी नहीं है। हाँ लड़की की भी राय जरूरी है, लेकिन माता-पिता भी सुयोग्य वधु / वर देखते रहे और लड़की को रिलेशनशिप में नहीं छोड़कर समाज या समाज के समकक्ष जाति वाला लड़का / लड़की कोई उसके ध्यान में आता है तो माँ-बाप पूरी तहकीकात करें। सन्तुष्ट होने पर सगाई करे, फिर करीब एक साल तक अगले परिवार की पूरी जानकारी से सन्तुष्ट होने पर विवाह का आयोजन करे। फिर आप देखेंगे लड़का लड़की खुश, बेवार्ड-बैवाणी खुश और समाज के व्यक्ति भी करें क्या शानदार रिश्ता किया है। यह मेरे निजी विचार है, सिर्फ आपको सचेत करने के लिए लेख लिखा है।

 

-Er. Tarachand

To read this story in English click here:

Youthfulness of the Younger Generation

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